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1990 के बाद बिहार में पलायन का बदलता स्वरूप

History                   

Explore –Journal of Research

                                    Peer Reviewed Journal

     ISSN 2278–0297 (Print)

                                                                                                ISSN 2278–6414 (Online)

                Vol. XIV No. 2, 2022

© Patna Women’s College, Patna, India

                                                         https://patnawomenscollege.in/explore-journal-of-research/

1990 के बाद बिहार में पलायन का बदलता स्वरूप

• Sarita Kumari • Aditya Singh • Soni Kumari • Priyanka

Received                   : December 2021

Accepted                   :  January 2022

Corresponding Author   : Priyanka

संकेत-शब्द(Abstract) : पलायन एक बहुआयामी घटना है, जिसका मानव सभ्यता के विकास से गहरा संबंध रहा है। इसकी निरंतरता बाद में बनी रही परंतु स्वरूप में बदलाव आया है। इस अध्ययन में बिहार से होने वाले जिंस पलायन की चर्चा की गई है, वह संकट पलायन है। जो मुख्यतः रोजगार के अकसर में कमी के कारण होता है। इस संकट पलायन का विश्लेषण सुख्यतः आ्राथमिक एवं द्वितीयक स्रोत जैसे किताब, समाचार पत्र. जर्नल एवं क्षेत्र सर्वेक्षण पर आधारित है। पलायन बिहारी मजदूरों की नियति बन गया है। बिहार से पलायन का एक लंबा इतिहास रहा है, और पिछले दशकों में तेजी आई है। बिहार से मजदूरों के पलायन का ग्रयुख कारण रोजगार के अवसरों की उपलब्धता की कमी है। जलवायु परिवर्तन तथा सरकार के उदासीन खैये के कारण कृषि व उद्योग दोनों ठप पड़े हैं। प्रवासी मजदूरों को अपने राज्य के साथ साथ बाहर कहीं और अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वे बेहद अद्युरक्षित जीवन जीने और बेहद खराब वातावरण में रहने को विवश होते हैं। राजनीतिक हाशियाकरण के कारण उन्हें कोर्ड

समाजिक सुरक्षा एवं बुनियादी सुविधाएं भी नहीं प्राप्त होती । उत्तर प्रदेश के ब्राद बिहार देश भर में सबसे सस्ते मजदूर मुहैया कराने वाला दूसरा बड़ा राज्य है। इसके बावजूद कई बार दूसरे राज्यों में हिंसा का शिकार हुए और बिहार लौटे परंतु यहाँ रोजगार उपलब्ध नहीं होने के कारण उन्हें वापस उन्हीं राज्यों में रुख करना पड़ता है /इस अध्ययन में यह दिखाने का प्रयास किया यया है कि यदि राज्य में रोजगार के साधन उपलब्ध हो तो पलायन का यह सिलस्तिला रुक सकता है। इसके लिए भूमि संबंधों में बदलाव: उद्योगों को खड़ा करना; न्यूनतम मजदूरी को लायू करना , सरकारी योजनाओं का ग्रभावी क्रियान्वयन तथा मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा की गारंटी आदि ऐसे उपाय हैं जिन्हें तत्काल लागू करने की जरूरत महसूस होती है।

शब्द-कुजिका: संकट पलायन. रोजगार राजनीतिक हाशियाकरण बिहार न्यूनतम मजदूरी; सामाजिक सुरक्षा।

Sarita Kumari
B.A. III year, History (Hons.), Session: 2019-2022, Patna Women’s College (Autonomous),
Patna University, Patna, Bihar, India

Aditya Singh
B.A. III year, History (Hons.), Session: 2019-2022, Patna Women’s College (Autonomous),
Patna University, Patna, Bihar, India

Soni Kumari
B.A. III year, History (Hons.), Session: 2019-2022, Patna Women’s College (Autonomous),
Patna University, Patna, Bihar, India

Priyanka
Assistant Professor, Department of History,
Patna Women’s College (Autonomous), Bailey Road, Patna-800 001,
Bihar, India E-mail : priyankapatnal@gmail.com