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Peer Reviewed Journal
ISSN 2278–0297 (Print)
ISSN 2278–6414 (Online)
Vol. XIV No. 2, 2022
© Patna Women’s College, Patna, India
वैज्ञानिक और तकनीकी हिंदी दशा और दिशा
Deepa Srivastava
Received : April 2022
Accepted : May 2022
Corresponding Author : Deepa Srivastava
सारांश (Abstract) : विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में हुए नवीनतम अनुसंधानों से परिचित होने का सशक्त माध्यम वैज्ञानिक तथा तकनीकी साहित्य है। वैज्ञानिक और तकनीकी हिन्दी से अभिप्राय हिन्दी के उन रूपों से है, जो इस साहित्य की विविध विधाओं में प्रयुक्त होते हैं। हिन्दी में ज्ञान-विज्ञान तथा तकनीक विषयों पर लेखन की सुदीर्घ परम्परा रही है और हिन्दी के शब्द भंडार की संवृद्धि में इस साहित्य की महत्वपूर्ण भूमिका है, जैसे – नागरी प्रचारिणी सभा, काशी द्वारा 1901ई. में प्रकाशित “हिन्दी साइंटिफिक ग्रॉसरी” नामक पारिभाषिक कोश।
भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों ने संविधान के अनुच्छेद 351 के अंतर्गत हिन्दी के विकास एवं समृद्धि के लिए अनेक योजनाएं कार्यान्वित की हैं। अनुवाद कार्य हेतु गठित ‘केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो’ अब तक लाखों शब्दों का अनुवाद कर चुका है। वैज्ञानिक और तकनीकी आयोग ने विज्ञान सहित कई विषयों की मानक तथा पारिभाषिक शब्दावली तैयार की है। केंद्रीय हिन्दी निदेशालय द्वारा हिन्दी के मानकीकरण का कार्य भी लगभग पूर्ण हो चुका है। टंकन अर्थात शब्द संसाधन और अन्य यांत्रिक विकास के क्षेत्र में भी अच्छी प्रगति हुई है।
हिन्दी की लिपि देवनागरी को अमेरिकी वैज्ञानिक श्री रिक ब्रिग्ज ने कंप्यूटर पर प्रयोग के लिए आदर्श लिपि माना है। अमेरिका में ‘स्टार’ प्रणाली के अंतर्गत हिन्दी सहित अनेक भाषाओं में शब्द संसाधन का कार्य संपन्न किया गया। अनेक कंपनियों के द्विभाषी/त्रिभाषी शब्द संसाधन पैकेज आज बाज़ार में सुलभ हैं, जैसे – सॉफ्टेक कंपनी का ‘अक्षर’, टाटा कंसल्टेंसी सर्विस का ‘शब्दमाल’, हिन्दी ट्रोन का ‘आलेख’ इत्यादि।
आई.आई.टी, कानपुर द्वारा विकसित ‘जिस्ट’ प्रणाली के माध्यम से डाटा संसाधन संबंधी सभी कार्य हिन्दी में सुगमता से पूरे किए जा सकते हैं।
तकनीकी क्षेत्र में भी कंप्यूटरीकरण की दृष्टि से वर्ड प्रोसेसिंग में हिन्दी में लेखन कार्य की स्थिति काफ़ी अच्छी है। जहाँ तक सिस्टम सॉफ्टवेयर का संबंध है, अभी भी आवश्यक निर्देश डॉस, विंडोज, सिस्टम जैसे सॉफ्टवेयर के माध्यम से दिए जाते हैं और टाइपिंग में भी कुछ समस्याएं हैं, जैसे – की बोर्ड का मानकीकरण, उपयुक्त सॉफ्टवेयर की कमी आदि। भारत सरकार द्वारा गठित इलेक्ट्रॉनिकी विभाग एवं इलेक्ट्रॉनिकी आयोग इन कमियों को नियंत्रित करने हेतु निरंतर प्रयासरत हैं।
ज्ञान-विज्ञान और तकनीक पर उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रम के अनुसार पाठ्य-पुस्तकें एवं संदर्भ ग्रंथ तैयार करने के उद्देश्य से भारत सरकार के द्वारा राज्य सरकारों के अधीन ग्रंथ निर्माण अकादमी तथा बोर्ड गठित किए गए हैं और अनुदान राशि भी निर्गत की गई है।
निष्कर्षतः इन समवेत प्रयासों से हिन्दी के विकास को एक नई दिशा मिली है और अपने सशक्त तथा स्मार्ट अवतार में हिन्दी आज स्वर्णिम भविष्य की ओर अग्रसर है।
उद्देश्य : विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में हिन्दी की स्थिति का आकलन करते हुए उसके विकास की दिशा का अध्ययन करना इस शोधपत्र का उद्देश्य है।
कुंजी शब्द : विज्ञान और तकनीकी हिन्दी, कंप्यूटर, देवनागरी लिपि, शब्द संसाधन।
Deepa Srivastava
Assistant Professor,
Department of Hindi, Patna Women’s College, Patna
Email-id: deepa.hindi@patnawomenscollege.in